प्रख्यात सांख्यिकीविद् डॉ. राधा बिनोद बर्मन ने 4 मई 2016 को राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के अंशकालिक अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया.
प्रो.एस.महेन्द्र देव, प्रो.राहुल मुखर्जी, डॉ. राजीव मेहता और डॉ. मनोज पांडा इस आयोग के अन्य अंशकालिक सदस्य हैं. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस आयोग के पदेन सदस्य हैं.
यह आयोग सांख्यिकी से जुड़े समस्त मुद्दों पर एक सलाहकार निकाय है जिसका गठन सरकारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए किया गया है.
प्रो.एस.महेन्द्र देव, प्रो.राहुल मुखर्जी, डॉ. राजीव मेहता और डॉ. मनोज पांडा इस आयोग के अन्य अंशकालिक सदस्य हैं. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इस आयोग के पदेन सदस्य हैं.
यह आयोग सांख्यिकी से जुड़े समस्त मुद्दों पर एक सलाहकार निकाय है जिसका गठन सरकारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए किया गया है.
राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग
• सी रंगराजन आयोग की सिफारिश पर 1 जून 2005 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की स्थापना का आदेश दिया गया.
• यह एक स्वायत्त संस्था है जिसका निर्माण 2006 में किया गया.
• इसका उद्देश्य देश की सांख्यिकीय एजेंसियों द्वारा डेटा संग्रह के संबंध में आने वाली समस्याओं को कम करना है.
• सांख्यिकी एजेंसियां जैसे केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) एवं राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) राज्य एवं केंद्र सरकारों से डेटा एकत्रित करते समय विभिन्न समस्याओं का सामना करते हैं. ऐसी स्थिति में एनएससी जैसी स्वायत्त संस्था बेहतर तालमेल कर सकती है.
• इसके द्वारा संग्रह किये डेटा की निष्पक्षता पर विशेष बल दिया गया है ताकि सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बहाल किया जा सके.
• सी रंगराजन आयोग की सिफारिश पर 1 जून 2005 को भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग की स्थापना का आदेश दिया गया.
• यह एक स्वायत्त संस्था है जिसका निर्माण 2006 में किया गया.
• इसका उद्देश्य देश की सांख्यिकीय एजेंसियों द्वारा डेटा संग्रह के संबंध में आने वाली समस्याओं को कम करना है.
• सांख्यिकी एजेंसियां जैसे केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) एवं राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (एनएसएसओ) राज्य एवं केंद्र सरकारों से डेटा एकत्रित करते समय विभिन्न समस्याओं का सामना करते हैं. ऐसी स्थिति में एनएससी जैसी स्वायत्त संस्था बेहतर तालमेल कर सकती है.
• इसके द्वारा संग्रह किये डेटा की निष्पक्षता पर विशेष बल दिया गया है ताकि सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में जनता का विश्वास बहाल किया जा सके.
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