वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला पौधा-आधारित ज़िका वैक्सीन विकसित किया-(18-AUG-2017) C.A

| Friday, August 18, 2017
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने दुनिया का पहला पौधा आधारित ज़िका वैक्सीन विकसित किया है, जो कि अन्य टीकों की तुलना में अधिक प्रभावी, सुरक्षित और सस्ता हो सकता है. इस टीका को तम्बाकू संयंत्र से प्राप्त प्रोटीन का उपयोग करके विकसित किया गया. वर्तमान में, जिका से निपटने के लिए विश्व भर मैं कोई  भी लाइसेंस प्राप्त टीका या चिकित्सा उपलब्ध नहीं है.

ज़िका वायरस

ज़िका विषाणु मुख्य रूप से एडीज एजेपिटी मच्छरों द्वारा प्रेषित वेक्टर जनित रोग है, वही मच्छर जो डेंगू, पश्चिम नाइल बुखार, येलो वायरस इत्यादि का भी वाहक है. इसका नाम युगांडा में ज़िका जंगल के नाम पर रखा गया है जहां पहले 1947 में इसे अलग किया गया था। वायरस गंभीर जन्म दोषों के लिए सक्षम है यानी न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर और भ्रूण विकृति जिसे माइक्रोसेफली कहा जाता है जिसमें शिशुओं के असामान्य रूप से छोटे सिर के साथ पैदा होते हैं। वायरस और गिलेन-बैर सिंड्रोम (एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र का हिस्सा है) के बीच एक संभावित कड़ी के अलावा भी संदेह है यह भी पाया जाता है कि, ज़िका वायरस रोग का यौन संचरण संभव है। इस वायरस का दंश अबसे अधिक् गर्भवती महिलाओं को झेलना पड़ा. इससे पीड़ित नवजात शिशु में गंभीर मस्तिष्क विकार पैदा होने लगते हैं. 

विश्व भर में यह रोग सबसे पहले 2015 में फैला, जिसने दक्षिणी-अमेरिका मैं लाखों लोगों को संक्रमित किया. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस बीमारी को महामारी के रूप में घोषित किया. इसके जवाब में, ज़िका को रोकने के लिए वैज्ञानिक प्रयासों की एक बहार से आने लगी और सारी सरकारी, अकादमिक प्रयोगशालाओं और फार्मास्युटिकल कंपनियां में ज़िका वैक्सीन विकसित करने के लिए दौड़ गई हैं।

नयी खोज:
प्लांट-आधारित ज़िका वैक्सीन डीआईआईआई के खिलाफ काम करती है, जो कि ज़िका वायरल प्रोटीन का एक हिस्सा है जो लोगों को संक्रमित करने के लिए वायरस के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सभी फ्लावीवायरस के बाहर भाग पर एन्वेल्प प्रोटीन (E-protein) होते हैं. इसमें तीन डोमेन हैं और डोमेन III में डीएनए का एक अद्वितीय खंड होता है. शोधकर्ताओं ने ज़िका के लिए एक मजबूत और सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए डोमेन III का उपयोग किया.
सबसे पहले उन्होंने बैक्टीरिया में एन्वेल्प प्रोटीन विकसित किया और तंबाकू पौधों में डीआईआई प्रोटीन डोमेन तैयार किया. चूहों पर किए गए इस टीका के कई प्रतिरक्षण प्रयोगों ने चूहों में कई ज़िका वायरस के खिलाफ शत-प्रतिशत सुरक्षा दिखाया.

महत्व:
जब पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा है ऐसे समय में इसके प्रतिरक्षा में वैक्सीन की खोज करोड़ों लोगो को इससे निजात दिलाने में सहायक होगा. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की यह पौधा आधरित वैक्सीन है जिससे किसी अन्य प्रकार के दोषों के उत्पन्न होने की सम्भावना ना के बराबर है. विशेषतया यह वैक्सीन उन गरीब देशों को राहत प्रदान करेगा जो खुद से इस रोग को रोकने मैं सक्षम नहीं हैं.

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