सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों में उपयोग की जाने वाली पांच धातुओं पर प्रतिबंध लगाया-(01-AUG-2017) C.A

| Tuesday, August 1, 2017
सुप्रीम कोर्ट द्वारा 31 जुलाई 2017 को जारी एक निर्देश में पटाखों के निर्माण के दौरान उपयोग किये जाने वाली पांच धातुओं पर प्रतिबन्ध लगाने की घोषणा की जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है.

सुप्रीम कोर्ट ने सीसा और पारा सहित इन पांच धातुओं को पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक माना तथा यह फैसला सुनाया. 

जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान पाया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास ऐसा कोई मानक नहीं है जिससे तय किया जा सके कि पटाखों से कितना वायु प्रदूषण होता है. बोर्ड के सदस्य सचिव ए बी अकोलकर ने बताया कि मानक 15 सितंबर तक तय कर लिए जाएंगे.
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सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों के खिलाफ तीन बच्चों की याचिका पर यह फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले ही संकेत दिया था कि दिल्ली में पटाखों की बिक्री पर  रोक लग सकती है.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला


•    सुप्रीम कोर्ट ने पटाखा निर्माताओं को पटाखे बनाने में लिथियम, लेड, मरक्यूरी, एंटीमोनी व आर्सेनिक का इस्तेमाल न करने के आदेश जारी किए हैं.

•    सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच में न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर एवं न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता शामिल हैं.

•    केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि प्रदूषण के मानक तय करने का काम 15 सितंबर तक पूरा हो जायेगा.

•    राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों के निर्माण एवं बिक्री के लिए कोई भी नया लाइसेंस जारी नहीं किया जायेगा.
याचिका 

तीन बच्चों अर्जुन गोपाल, आरव भंडारी और जोया राव की ओर से उनके पिताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयी जनहित याचिका में कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर असहनीय होता जा रहा है. याचिका में कहा गया कि त्योहार के वक्त पटाखों की वजह से कई बीमारियां भी हो रही हैं. इसके साथ ही राजधानी के आसपास करीब 500 टन फसलों के अवशेष जलाए जाते हैं. इतना ही नहीं ट्रकों की वजह से प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और इनकी वजह से फेंफड़े संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट कोई ठोस दिशा निर्देश जारी करे और प्रदूषण पर रोक लगाए.

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