केंद्र सरकार ने 10 अगस्त 2017 को लोकसभा में श्रम (संशोधन) विधेयक पेश किया. इस विधेयक द्वारा देश के असंगठित क्षेत्र के कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है.
यह विधेयक असंगठित क्षेत्र में कार्यरत सभी श्रेणियों के 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने में सहायक होगा. यह कार्य केंद्र सरकार के स्तर पर किया जायेगा.
मुख्य बिंदु
• इस विधेयक के एक प्रावधान के अनुसार यदि श्रमिक को तयशुदा रकम से कम वेतन दिया गया तो उसके मालिक पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया जायेगा.
• यदि मालिक द्वारा पांच वर्ष के दौरान ऐसा फिर किया तो एक लाख रुपये जुर्माना अथवा तीन माह की कैद या दोनों सजाएं एक साथ देने का प्रावधान भी है.
यह विधेयक असंगठित क्षेत्र में कार्यरत सभी श्रेणियों के 40 करोड़ से अधिक श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी तय करने में सहायक होगा. यह कार्य केंद्र सरकार के स्तर पर किया जायेगा.
मुख्य बिंदु
• इस विधेयक के एक प्रावधान के अनुसार यदि श्रमिक को तयशुदा रकम से कम वेतन दिया गया तो उसके मालिक पर 50 हजार रुपए जुर्माना लगाया जायेगा.
• यदि मालिक द्वारा पांच वर्ष के दौरान ऐसा फिर किया तो एक लाख रुपये जुर्माना अथवा तीन माह की कैद या दोनों सजाएं एक साथ देने का प्रावधान भी है.
• विभिन्न मानकों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक पांच वर्ष बाद न्यूनतम मजदूरी की समीक्षा करनी होगी.
• इनका निर्धारण एक पैनल करेगा, जिसमें नियोक्ता, श्रमिकों के प्रतिनिधियों के अलावा स्वतंत्र लोग भी शामिल होंगे.
• यदि श्रमिक दैनिक वेतनभोगी है तो उसे श्रमिक की शिफ्ट समाप्त होने पर उसे पारिश्रमिक भुगतान दिया जाना चाहिए.
• मासिक वेतनभोगियों को प्रत्येक माह की सात तारीख तक वेतन देना होगा.
• यदि श्रमिक को बर्खास्त किया जाता है अथवा वह श्रमिक त्यागपत्र दे देटा है तो उसे दो कार्यदिवस के भीतर उसका पारिश्रमिक देना होगा.
• श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने लोकसभा में कहा कि नए बिल में 1936, 1948, 1965 व 1976 के एक्ट का विलय कर दिया जाएगा.
नियोक्ता के लिए
नियोक्ता के लिए इस विधेयक में कहा गया है कि वह श्रमिक का वेतन तभी काट सकता है जब वह ड्यूटी से गैरहाजिर रहा हो या फिर उसकी वजह से कोई नुकसान हुआ हो. घर अथवा अन्य सेवाएं देने के बदले भी नियोक्ता श्रमिक के वेतन से कटौती कर सकता है.
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