राज्यसभा में शिक्षा के अधिकार का संशोधन बिल ध्वनिमत से पारित-(03-AUG-2017) C.A

| Thursday, August 3, 2017
बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने के मकसद से शिक्षा के अधिकार का संशोधन बिल, 2017 राज्यसभा में 1 अगस्त 2017 को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया. संसद में इस संबंध में एक बिल पारित करके ऐसे शिक्षकों को अपने पद को बचाए रखने के लिए न्यूनतम अर्हता हासिल करने के लिये 2019 तक का समय दिया गया है.
इसके तहत मार्च 2015 तक नियुक्त हुए 11 लाख प्राइमरी अध्यापकों को शिक्षा के अधिकार (आरटीई) अधिनियम के तहत न्यूनतम योग्यता हासिल करने के लिए दो साल का समय मिलेगा. यह बिल लोकसभा में 22 जुलाई 2017 को पारित किया गया था.
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा है कि सरकार ने जब निजी स्कूलों से जानकारी मांगी तो पता चला कि सात लाख शिक्षकों के पास न्यूनतम शिक्षा भी नहीं थी. लेकिन 1.5 लाख शिक्षकों ने एक साल का प्रशिक्षण हासिल किया है. 2.5 लाख शिक्षक अब भी सरकारी सेवा में हैं. इस तरह कुल 11 लाख शिक्षक बिना पर्याप्त शिक्षा के हैं.
प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि ‘स्वयं प्रभा योजना’ के तहत अब इन शिक्षकों को नासिर्फ प्रशिक्षित किया जाएगा बल्कि इन्हें ऑनलाइन शिक्षा भी दी जाएगी. उन्हें डायरेक्ट टु होम (डीटीएच) के जरिये पढ़ाने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा.
केंद्र सरकार इन शिक्षकों को 2 अक्टूबर से इस नई योजना ‘स्वयं प्लेटफार्म’ के तहत शिक्षकों का पंजीकरण 15 अगस्त से 15 सितंबर तक होगा. उल्लेखनीय है कि 01 अप्रैल 2010 से लागू मौजूदा कानून के तहत इन शिक्षकों को बहाल रहने के लिये पांच साल के अंदर यानी 31 मार्च 2015 तक न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हासिल करनी थी.
संशोधन बिल के अनुसार प्रत्येक अध्यापक को अपने पद के लिये निर्धारित न्यूनतम योग्यता हासिल करने के लिये अब वर्ष 2019 तक का समय दिया है. इस संशोधन विधेयक से शिक्षकों को अपनी नौकरी बचाने का अवसर मिलेगा. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2010 में जब आरटीई अधिनियम लागू हुआ था तब नये स्कूल स्थापित किये गये थे. लेकिन उपयुक्त शिक्षा प्राप्त टीचर की तब कमी थी. तब केवल स्नातक शिक्षकों को भी नियुक्त कर लिया गया था.

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