ब्राउन कार्बन वायुमंडल को गर्म कर सकता हैः आईआईटी-(06-DEC-2016) C.A

| Tuesday, December 6, 2016
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर के शोधकर्ताओं की एक टीम ने अपने अध्ययन में इस बात पर जोर दिया है कि कार्बनयुक्त एयरोसॉल जैसे ब्लैक कार्बन (बीसी– BC) और कुछ कार्बनिक कार्बन की प्रजातियां जिन्हें ब्राउन कार्बन ( बीआरसी– BrC) कहते हैं, में प्रकाश को अवशोषित कर वायुमंडल के गर्म करने की क्षमता होती है.
ब्राउन कार्बन, जिनकी भूमिका के बारे में काफी कम पता है, पर किए गया यह अध्ययन उत्तर प्रदेश के कानपुर में उनके एक प्रयोग पर आधारित है. ब्राउन कार्बन के गुण को अच्छी तरह से दिखाने के लिए टीम ने कानपुर में मापी गई सबमाइक्रॉन एरोसॉल की प्रयोगात्मक और अवशोषण गुण के नमूनों को दिखाया. उनके अध्ययन में इस बात पर रौशनी डाली गई है कि पिछले अध्ययनों की तुलना में अभी के अध्ययन में ब्राउन कार्बन 365  nm तरंगदैर्ध्य पर पांच गुना अधिक अवशोषण करता है.
ब्लैक कार्बन (बीसी– BC) पूरे सौर स्पेक्ट्रम पर प्रकाश अवशोषित करता है. दूसरी तरफ ब्राउन कार्बन ( बीआरसी– BrC) पराबैंगनी तरंगदैर्ध्य के करीब अवशोषण करता है और दृश्य प्रकाश में काफी कम अवशोषण करता है.
पीएम शमजाद, एसएन त्रिपाठी, नवनीत एम थांबन और हैदी वृलंद द्वारा किया गया यह अध्ययन 24 नवंबर 2016 को साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ था. अध्ययन ऑफलाइन और ऑनलाइन माप का उपयोग कर सबमाइक्रॉन (PM1) कार्बनयुक्त एरोसॉल प्रकाश अवशोषण के गुणों को दर्शाता है.
अध्ययन कहता है कि भारत जैसे विकासशील देशों में जहां दहन के विपुल स्रोत हैं, अवशोषण पर ब्राउन कार्बन का प्रभाव काफी महत्वपूर्ण हो सकता है. टीम ने 2014-15 की सर्दियों में 50 दिनों तक कार्बनयुक्त एरोसॉल के प्रकाश अवशोषण करने के गुणों का अध्ययन किया था.
कानपुर क्यों?
अध्ययन के लिए कानपुर को इसलिए चुना गया क्योंकि यह शहर और इसके आसपास का इलाका आयुधशाला लोडिंग के लिए जाना जाता है, इसकी वजह है खुला बायोमास और कचरे का जलना. इस गतिविधि ने बड़े– पैमाने पर पार्टिकुलेट मैटर विशेष रूप से सर्दियों में, के संचय में मदद की.
कानपुर में अध्ययन के नतीजे:
नतीजे बताते हैं कि कानपुर में कुल अवशोषण में करीब 30% ब्राउन कार्बन का अवशोषण हुआ. साथ ही प्राथमिक जैविक एरोसोल द्वितियक कार्बनिकों की तुलना में अधिक योगदान करते दिखे.
कानपुर में ब्राउन कार्बन प्रकृति में अत्यधिक अवशोषक था और वाष्पशील प्रजातियों से प्रकाश के अवशोषण में मिश्रित स्थिति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है.
अध्ययन से पता चलता है कि PM2.5 (2.5 μm व्यास से छोटे पार्टिकुलेट मैटर) की सांद्रता 187 ± 90 μg m−3 थी ( औसत ± मानक विचलन), यह विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानकों के मुकाबले 7 गुना अधिक है. इसमें इस बात को भी प्रमुखता से बताया गया है कि द्रव्यमान के मामले में ब्राउन कार्बन ब्लैक कार्बन की तुलना में 10 गुना अधिक था. ब्लैक कार्बन के अवशोषण की क्षमता ब्राउन कार्बन की तुलना में 50 गुना अधिक थी.
अध्ययन के अनुसार ब्लैक कार्बन 24 घंटे में करीब 70 फीसदी प्रकाश अवशोषित करने में सक्षम था जबकि ब्राउन कार्बन– प्रकृति में स्वतंत्र है– और इसमें प्रकाश का अवशोषण कर वायुमंडल को गर्म करने की करीब 15 फीसदी क्षमता ही है.
ब्राउन और ब्लैक कार्बन में अंतर:
ब्लैक और ब्राउन कार्बन को उनके ऑप्टिकल ( फैलाव, अवशोषण और अन्य) एवं भौतिक (रंग, वाष्पशीलता और अन्य) गुणों के आधार पर अलग किया जाता है. ये दोनों ही गैस वायुमंडल में प्रमुख अवशोषक कार्बनयुक्त एसोसोल वाले गैस हैं.
ब्राउन कार्बन (BrC)
ब्लैक कार्बन (BC)
  • BrC  का रंग भूरा होता है और इसके अवशोषण की क्षमता पराबैंगनी एवं कम दृश्य तरंगदैर्ध्य तरंगों तक सीमित होती है. 
  • एरोसोल अवशोषण द्रव्यमान, मिश्रण स्थिति, रसायनिक संयोजन और वायुमंडल में मौजूत प्रजातियों के अपवर्तनांक पर निर्भर करता है.

  • जैविक द्रव्यमान और  BC का अनुपात कणों का रंग निर्धारित करता है जो जलने की स्थिति से प्रभावित होता है.  
  • BC  रंग में गहरा होता है और पूरे स्पेक्ट्रा में प्रकाश को अवशोषित करने की मजबूत क्षमता दर्शाता है.

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