संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा विश्व की पहली लेज़र हथियार प्रणाली का सफल परीक्षण किया गया. इसे किसी भी प्रकार के हमले से निपटने के लिए अरब की खाड़ी में तैनात कर दिया गया है.
इस प्रणाली को यूएसएस पॉन्स उभयचर परिवहन जहाज पर तैनात किया गया है. परीक्षण के दौरान इस प्रणाली ने अरब की खाड़ी में उड़ते हुए ड्रोन को तथा अन्य टारगेट पर सटीक निशाना साधा था. इसके अतिरिक्त यूएसएस पॉन्स पहला ऐसा जहाज बना है जिसपर यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली लगाई गयी है.
इस प्रणाली को यूएसएस पॉन्स उभयचर परिवहन जहाज पर तैनात किया गया है. परीक्षण के दौरान इस प्रणाली ने अरब की खाड़ी में उड़ते हुए ड्रोन को तथा अन्य टारगेट पर सटीक निशाना साधा था. इसके अतिरिक्त यूएसएस पॉन्स पहला ऐसा जहाज बना है जिसपर यह अत्याधुनिक हथियार प्रणाली लगाई गयी है.
मुख्य बिंदु
• यह हथियार प्रकाश की गति से निशाना लगा सकता है जो कि किसी भी इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) से 50 हज़ार गुना अधिक तेज है.
• यह एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम पर कार्य करता है जिससे इसकी बीम दिखाई नहीं देती.
• यह हथियार किसी प्रकार का शोर भी नहीं करता जिससे युद्ध के समय बिना शोर मचाये दुश्मन का अधिक से अधिक नुकसान किया जा सकता है.
• इस हथियार प्रणाली को बनाने का खर्च लगभग 40 मिलियन डॉलर है.
• इसे चलाने के लिए केवल बिजली की उपलब्धता होनी चाहिए. यह बिजली किसी भी स्थान पर जनरेटर की सहायता से उपलब्ध कराई जा सकती है. इसे ऑपरेट करने के लिए 2-3 लोगों की ही जरुरत पड़ती है.
• इस हथियार की सबसे बड़ी खूबी इसका विभिन्न टारगेट पर निशाना लगाने की क्षमता है. यह जल, थल और वायु किसी भी स्थान पर, किसी भी चीज को निशाना बना सकता है.
• इसका निर्माण ईरान और उत्तर-कोरिया से होने वाले मिसाइल हमले के खतरे को देखते हुए किया गया.
फ़िलहाल यह विमान उड़ते हुए ड्रोन, छोटे विमान और छोटी नौकाओं को निशाना बनाने में उपयुक्त है. गौरतलब है कि यूएस नेवी ने इससे पहले कहा था कि अमेरिकी सेना के पास जल्द ही तेज़ निशाना लगा सकने वाले हथियार मौजूद होंगे.
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