कर्नाटक राज्य सरकार अपने राज्य की अलग पहचान हेतु राज्य का अलग झंडा चाहती है. वर्तमान में कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार है. झंडे का डिजाइन तैयार करने हेतु राज्य सरकार ने 9 सदस्यों की एक समिति का गठन किया है.
यह समिति इसे कानूनी मान्यता दिलाने का काम भी करेगी. सरकार की यह योजना सफल होती है तो जम्मू और कश्मीर के बाद कर्नाटक दूसरा ऐसा राज्य होगा, जिसका अपना झंडा होगा. कर्नाटक में इसी वर्ष विधानासभा चुनाव भी आयोजित किए जाने हैं.
राज्य सरकार के 6 जून को दिए आदेश में कन्नड़ और कल्चर डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव को कमिटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
यह समिति इसे कानूनी मान्यता दिलाने का काम भी करेगी. सरकार की यह योजना सफल होती है तो जम्मू और कश्मीर के बाद कर्नाटक दूसरा ऐसा राज्य होगा, जिसका अपना झंडा होगा. कर्नाटक में इसी वर्ष विधानासभा चुनाव भी आयोजित किए जाने हैं.
राज्य सरकार के 6 जून को दिए आदेश में कन्नड़ और कल्चर डिपार्टमेंट के प्रमुख सचिव को कमिटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है.
वर्ष 2012 में भी इस तरह की मांग उठी थी, तत्कालीन बीजेपी सरकार ने यह कहते हुए इसका विरोध किया था कि यह कदम 'देश की एकता और अखंडता के खिलाफ है'. तत्कालीन कल्चर मिनिस्टर गोविंद एम करजोल के अनुसार फ्लैग कोड राज्य के लिए अलग ध्वज की इजाजत नहीं देता.
प्रमुख तथ्य-
• पिछले दिनों बेंगलुरु मेट्रो में कन्नड़ और अंग्रेजी के साथ हिंदी में लिखे नाम देखकर कुछ लोगों ने राज्य पर हिंदी को थोपने का भी आरोप लगाया था.
• कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने इस फैसले को पूरी तरह नकार दिया है.
• केंद्रीय मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा के अनुसार भारत एक देश है और देश में दो झंडे नहीं हो सकते.
टिप्पणी-
यदि कर्नाटक राज्य का अलग झंडा होगा तो इससे राष्ट्रीय ध्वज का महत्व भी होगा. इससे जनता के मध्य प्रांतवाद की भावना को भी बढ़ावा मिलेगा. देश का राष्ट्रीय ध्वज देश की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता का प्रतीक है.
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