भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने 6 अप्रैल 2017 को पहली मौद्रिक नीति समीक्षा पेश की. आरबीआई द्वारा वर्ष 2017-18 के लिए क्रेडिट पॉलिसी का ऐलान किया. इसमें आरबीआई ने रेपो रेट को 6.25 प्रतिशत के स्तर पर यथावत रखने की घोषणा की. रिवर्स रेपो रेट को बढ़ाकर 6 प्रतिशत किये जाने की घोषणा की गयी.
आरबीआई ने कहा कि सरकार अतिरिक्त लिक्विडिटी को सिस्टम से निकालने के लिए स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी की संभावना पर विचार कर रही है.
रेपो रेट
रेपो रेट कम होने से बैंकों को आरबीआई से सस्ते ब्याज दर पर कर्ज मिलता है. रेपो रेट के कम होने के बाद बैंक भी आम लोगों को सस्ते ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराते हैं. यदि आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो फिर बैंक को आरबीआई से महंगा कर्ज मिलेगा जिसके बाद बैंक आम लोगों को ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज देता है.
आरबीआई ने कहा कि सरकार अतिरिक्त लिक्विडिटी को सिस्टम से निकालने के लिए स्टैंडिंग डिपॉजिट फैसिलिटी की संभावना पर विचार कर रही है.
रेपो रेट
रेपो रेट कम होने से बैंकों को आरबीआई से सस्ते ब्याज दर पर कर्ज मिलता है. रेपो रेट के कम होने के बाद बैंक भी आम लोगों को सस्ते ब्याज दर पर कर्ज मुहैया कराते हैं. यदि आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो फिर बैंक को आरबीआई से महंगा कर्ज मिलेगा जिसके बाद बैंक आम लोगों को ज्यादा ब्याज दर पर कर्ज देता है.
क्रेडिट पॉलिसी की मुख्य बातें
• रेपो रेट 6.25 प्रतिशत के स्तर पर यथावत
• रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी से बढ़ाकर 6 प्रतिशत किया गया
• सीआरआर 4 प्रतिशत पर बनी रहेगी
• मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट को घटाकर 6.50 प्रतिशत किया गया
• आरबीआई ने एलएएफ को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया इससे बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी.
• रेपो रेट 6.25 प्रतिशत के स्तर पर यथावत
• रिवर्स रेपो रेट 5.75 फीसदी से बढ़ाकर 6 प्रतिशत किया गया
• सीआरआर 4 प्रतिशत पर बनी रहेगी
• मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट को घटाकर 6.50 प्रतिशत किया गया
• आरबीआई ने एलएएफ को 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.50 प्रतिशत कर दिया इससे बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ेगी.
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