केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वस्तु और सेवा कर संबंधी संविधान संशोधन विधेयक में संशोधनों को मंजूरी दे दी है. मंत्रिमंडल ने अंतरराज्य बिक्री पर एक प्रतिशत का अतिरिक्त कर हटा दिया.
साथ ही प्रस्तावित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली शुरू होने के पहले पांच वर्षों तक राज्यों को होने वाले घाटे की भरपाई की व्यवस्था भी की जाएगी.
साथ ही प्रस्तावित अप्रत्यक्ष कर प्रणाली शुरू होने के पहले पांच वर्षों तक राज्यों को होने वाले घाटे की भरपाई की व्यवस्था भी की जाएगी.
संशोधित जीएसटी विधेयक के बारे में -
- इस सम्बन्ध में 26 जुलाई 2016 को मंत्रिमंडल की आयोजित बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की.
- केन्द्र और राज्यों के बीच किसी भी विवाद का निपटारा वस्तु और सेवाकर परिषद में ही किया जायेगा.
- जिसमें केन्द्र और राज्य दोनों का ही प्रतिनिधित्व होगा.
- अब सरकार को उम्मीद है कि संसद के मौजूदा सत्र में ही बहुप्रतीक्षित वस्तु और सेवाकर विधेयक पारित हो जाएगा.
- मंत्रिमंडल ने रक्षा से जुड़े सार्वजनिक क्षेत्रों के उपक्रमों द्वारा संयुक्त
- उद्यम कंपनियों की स्थापना के लिए मौजूदा दिशा-निर्देशों को खत्म करने का भी फैसला किया है.
- एक और फैसले में शेयर बाजार में विदेशी हिस्सेदारी की सीमा पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 15 प्रतिशत तक करने.
- जीएसटी के अस्तित्व में आने से करों के जाल से मुक्ति मिलेगी. उसकी जगह एकीकृत बाजार का रास्ता साफ होगा.
पृष्ठभूमि-
- जीएसटी विधेयक में दी गई मौजूदा व्यवस्था में राज्यों को पहले तीन साल तक 100 प्रतिशत, चौथे साल 75 प्रतिशत और पांचवें साल 50 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई का प्रावधान किया गया था.
- राज्यसभा की प्रवर समिति ने हालांकि पूरे पांच साल तक 100 प्रतिशत राजस्व नुकसान की भरपाई की सिफारिश की थी.
- विधेयक को लोकसभा पिछले साल मई में मंजूरी दे चुकी है.
- राज्यसभा में संशोधन के साथ विधेयक के पारित होने के बाद संशोधित विधेयक को फिर से लोकसभा में पारित कराने के लिये भेजा जाएगा.
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